अमरावती- (शहेजाद खान)-
राज्य के कई जिलों में भीड़ का रिकार्ड दर्ज कर रहें मराठा क्रांति मूक मोर्चा द्वारा आज अमरावती में भी विराट शक्ति प्रदर्शन हुआ. जिले के लगभग हर गांव और कस्बे से मराठा समाज के दो वर्ष से लेकर ९० वर्ष तक के बच्चे, बुढे,महिला,पुरूष, अमीर,गरीब, नेता, कार्यकर्ता, सभी मराठा समाज बंधू इकठ्ठा हुए. लाखों
की संख्या में स्थानीय नेहरू मैदान से
यह मूक मोर्चा प्रारंभ हुआ और अपने तय मार्ग को पूरा करता हुआ कैम्प परिसर स्थित गर्ल्स हाईस्कूल चौक पर जाकर समाप्त हुआ. सुबह ११.५६ बजे मोर्चा नेहरू मैदान से प्रारंभ हुआ और १२ बजकर २५ मिनट पर इर्विन चौक पहुंचा. लाखों की शय्ल में मोर्चे में शामिल मराठा बंधुओं ने यहां डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा को माल्यार्पण किया. ठिक ३२ मिनट बाद यह मूक मोर्चा अपने अंतिम पडाव गर्ल्स हाईस्कूल चौक पर पहुंच चुका था.
हालांकि मोर्चे का पहला छोर १२ बजकर ५७ मिनट पर गर्ल्स
हाईस्कुल चौक पर पहुंच चुका था, परंतू पूरे शहर में जगह-जगह से आ रहें मराठाओं को आने के लिए आधा घंटा और लगा. यहां १ बजकर ३७ मिनट पर हाल ही में उरी में शहीद हुए भारतीय सैन्य जवानों को श्रध्दांजली अर्पित की गई. इस दौरान पूरे मोर्चे में न कोई नारेबाजी और न कोई भाषणबाजी, न किसी नेता ने नेतृत्व किया. मोर्चे में शामिल हर मराठा मोर्चे का नेतृत्व कर रहा था. श्रध्दांजलि के बाद मोर्चे का हुजुम
गर्ल्स हाईस्कूल चौक पर ही रूका रहा. एक सात वर्ष की बच्ची के नेतृत्व में चार बच्चियों के दल ने समाज की विभिन्न मांगों का एक निवेदन १.५७ बजे जिलाधिकारी के मार्फत राज्य के मुख्यमंत्री तक पहुंचाया. निवेदन देनेवालों में अमूल्या, जानकी, अनुष्का और पूनम यह चार बच्चियां शामिल
थी. निवेदन के पश्चात उपस्थितों ने राष्ट्रगान किया. उपरांत मोर्चा अपने आप समाप्त हो गया और शामिल लाखों लाख मराठा अपने-अपने घरों को लौट गये. सैंकडों स्वयंसेवकों
और जबर्दस्त नियोजन के साथ
मराठाओं के इस मोर्चे ने जहां एक और शहर-जिला के इतिहास में रिकार्ड गर्दी अपने नाम की, वहीं मराठाओं ने बता दिया कि अनुशासन में भी वह पीछे नहीं हैं. मराठाओं के मूक मोर्चा में शामिल होने के लिए दो वर्ष के बालक से लेकर ९० वर्ष तक महिला,पुरूष सुबह ७ बजे से ही अलग-अलग ठिकानों पर जूटने
लगे थे. नि:शब्द मोर्चा अपने दोनों छोर मिलाकर दो किलोमीटर से ज्यादा लंबा था, परंतू इसके अलावा शहर के कई रास्तों पर मराठा जमा थे. महिलाओं की उपस्थिति लक्षनीय थी. मोर्चे के बाद स्वयंसेवकों ने पूरे रास्तों पर फैली गंदगी को साफ किया. इस मोर्चे में दो मंत्री, कई विधायक, लगभग सभी प्रमुख पार्टियों के पदाधिकारी, डॉय्टर्स, वकील, प्राध्यापक, इंजिनियर, छात्र, छात्राएं, किसान, खेतीहर मजदूर, व्यापारी, उद्योगपति, सरकारी अधिकारी व कर्मचारी, सहकार क्षेत्र
के नेता आदि सभी शामिल हुए थे. मोर्चे के प्रारंभ में मां जीजाऊ और शिवाजी महाराज बनें छोटे बच्चे थे. नेताओं को मोर्चे के सबसे आखिर में रखा गया था. मोर्चे में शामिल होने के लिए सुबह ७ बजे से ही जिले के कई तहसील व गांवों से लोगों का आना शुरू हो गया था. हालांकि पुलिस का भारी बंदोबस्त तैनात था, परंतू पुलिसवालों को लाठी लेकर चलने के अलावा कुछ खास नहीं करना पडा.
मोर्चा अनुशासित और पूरी तरह मूक था. हालांकि महाराष्ट्र के अन्य
जिले रायगड, कोंकण और आदि में मोर्चे की समाप्ती पर मांगों का निवेदन पढा गया था और कई जिलों में मोर्चे की समाप्ती छोर पर तालियों
की गडगडाहट से मराठा समाज का शक्तिप्रदर्शन हुआ, परंतू अमरावती में ऐसा कुछ भी नहीं होने दिया गया. कडकती धूप और बहता पसीना भी मराठाओं के उत्साह को कम नहीं कर सका. मोर्चे में शामिल मराठाओं के कदमताल की तरह पढते कदम देखकर आम लोगों के भी कदम रूक गये. हालांकि मोर्चे में लाखों मराठा शामिल थे, फिर भी हर
एक के मन में ‘एक मराठा- लाख मराठा की भावना नजर आ रहीं थी. इस तरह के विशाल मोर्चे का अनुभव अमरावती की पुलिस के लिए भी नया था. मराठा अस्मिता के भगवे झंडे हजारों हाथों में लहराते दिखाई दे रहें थे.हालांकि मोर्चे में शामिल मराठाओं के ओठ बंद थे, परंतू अब तक हुए अत्याचार और विभिन्न मांगों के लिए मराठाओं की भावना चीख-चीखकर एकजूटता बता रहीं थी.
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