*विदर्भ ब्युरो चिफ - (शहेजाद खान)*
रमजान शरीफ के चांद का दीदार शुक्रवार को नहीं होने के कारण शनिवार को मस्जिदों में पहली तराबी और रविवार को पहला रोजा होगा। रमजान की इबादत का मुस्लिमों में खास मुकाम है। मुस्लिम पर्व रमजान का पहला रोजा रविवार को होगा। मस्जिदों में शुक्रवार को मगरिब की नमाज के वक्त हाफिजों ने आसमान में काफी देर तक चांद को देखा, लेकिन चांद नहीं दिखा। चांद दिखने की महानगरों से भी कोई सूचना स्थानीय स्तर पर नहीं आई। रविवार से एक माह के रोजे और इबादतों का दौर शुरु होगा। इस्लाम के पांच अनिवार्य नियमों में से एक रोजा मुस्लिम के लिए (फर्ज)अनिवार्य है। मौसम कैसा भी हो इस माह में रोजा रखना, नमाज अदा करना और पवित्र कुरान को तराबीह की नमाज में सुनना मुस्लिमों के लिए अहम है। मुस्लिम समाज की मान्यता है कि इस माह नेकी का कई गुना सवाब मिलता है। इबादत से राजी होकर खुदा बेपनाह रहमतें बरसाता है। शनिवार शाम से रमजान की विशेष नवाज अदा की जाएगी।
*गर्मी में कड़े इम्तिहान वाला होगा रमजान माह*
अल्लाह की इबादत का महीना रमजान जल्द शुरू हो रहा है। इस बार रमजान महीना अकीदतमंदों के लिए कड़े इम्तिहान का रहेगा। वजह, 34 साल बाद ऐसा मौका आया है कि जब रमजान का कोई भी दिन 15 घंटे से कम नहीं होगा। रोजा रखने वालों को रोज 15 घंटे रोजा रखना होगा। पहला रोजा ही 15 घंटे 12 मिनट का होगा। यह बढ़ते-बढ़ते 21 व 22 जून को 15 घंटे 36 मिनट का हो जाएगा। सन् 1983 में रमजान जून में आया था, तब भी ऐसी ही कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ा था।
*इफ्तार का टाइम शाम 7.22 बजे होगा :*
रमजान माह जल्द शुरू हो रहा है। जानकारी के मुताबिक पहले रोजे की सेहरी सुबह करीब 4.10 बजे समाप्त होगी और इफ्तार शाम 7.22 बजे होगा। यानी यह रोजा 15 घंटे 12 मिनट का होगा। रमजान में समाजजन नियमित नमाज अदा कर रोजे रखते हैं। महीने के आखिर में चांद के दीदार के साथ ही रोजे पूरे होंगे व ईद मनेगी। रमजान में जकात दी जाती है तो ईद की नमाज से पहले गरीबों में फितरा बांटते हैं। इससे ईद को ईद-उल-फितर कहते हैं।
*34 साल बाद इस बार 15 घंटे से अधिक समय का रहेगा हर रोजा*
देरी से सूर्य अस्त होने से बढ़ेगा समय
जानकारों के अनुसार जब भी गर्मी के मौसम में पाक रमजान महीना आता है तो रोजे का समय बढ़ा जाता है। सूर्य उदय से पहले शुरू होकर यह सूर्य अस्त के बाद तक चलता है। गर्मी में सूर्य उदय जल्दी और अस्त देरी से होता है, इस कारण रोजे का समय बढ़ जाता है। इन दिनों दिन लंबे होते हैं। हालांकि रोजा रखने वाले समय ज्यादा होने से परेशान नहीं होते। वे रोजा रखते ही हैं। वर्ष 2000 से 2003 के बीच दिसंबर में रमजान माह आया था। सर्दी के दिनों की अवधि कम रहती है। इसके चलते उस दौरान रोजे की अवधि 12 घंटे से भी कम समय की थी।
जानकारों के अनुसार जब भी गर्मी के मौसम में पाक रमजान महीना आता है तो रोजे का समय बढ़ा जाता है। सूर्य उदय से पहले शुरू होकर यह सूर्य अस्त के बाद तक चलता है। गर्मी में सूर्य उदय जल्दी और अस्त देरी से होता है, इस कारण रोजे का समय बढ़ जाता है। इन दिनों दिन लंबे होते हैं। हालांकि रोजा रखने वाले समय ज्यादा होने से परेशान नहीं होते। वे रोजा रखते ही हैं। वर्ष 2000 से 2003 के बीच दिसंबर में रमजान माह आया था। सर्दी के दिनों की अवधि कम रहती है। इसके चलते उस दौरान रोजे की अवधि 12 घंटे से भी कम समय की थी।
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