जल्दी ही केंद्र कि मोदी सरकार ऐसा नियम प्रस्तुत कर सकती है जिसके तहत गैस सब्सिडी के लिए इनकम टैक्स रिटर्न की कॉपी जमा कराना अनिवार्य हो जायेगा। इस प्रस्ताव के मुताबिक उपभोक्ता को गैस सब्सिडी हासिल करने के लिए LPG डीलर के पास हर साल अपने इनकम टैक्स रिटर्न की कॉपी जमा करानी होगी।
सब्सिडी छोड़ने के अभियान में तेजी लाने के लिए उठाये जा रहे हैं कदम
सरकार चाहती है कि एलपीजी सब्सिडी छोड़ने की ‘गिव इट अप’ की सरकारी मुहिम में तेजी लायई जाए और इसीलिए ऐसे प्रस्ताव लाने की योजना है कि अपनी घरेलू खाना पकाने वाली गैस पर सब्क्सिडी मांगने वाले को प्रतिवर्ष अपने आयकर रिर्टन की कॉपी अपने गैस सिलेडर डीलर के पास जमा करनी होगी। पिछले दिनों भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की थी कि आर्थिक रूप से मजबूत लोगों को अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ देनी चाहिए। पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी पिछले सप्ताह केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को लिखा था कि ‘एलपीजी उपभोक्ताओं की टैक्सेबल इनकम की जानकारी रसोई गैस पर सब्सिडी के साथ मांगा जाना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके जरिए उच्च आय वर्ग के उपभोक्ताओं को सब्सिडी के लाभ से वंचित करने की व्यवस्था की जा सकती है।
10 लाख वार्षिक आय से ऊपर वाले होंगे बाहर
पेट्रोलियम मंत्रालय की योजना है कि सीबीडीटी की ओर से प्राप्त जानकारी के आधार पर वो सालाना 10 लाख से अधिक आय वाले लोगों को सब्सिडी से बाहर कर दे। इसीलिए मंत्रालय ने कहा है कि उच्च आय वर्ग के लोगों को एलपीजी सब्सिडी की सुविधा से बाहर करने के लिए उनकी टैक्सेबल इनकम के बारे में हर साल यह जानकारी होना बहुत जरूरी है। इस पत्र में कहा गया है कि मंत्रालय को आयकर अधिनियम की धारा 138 के तहत अधिसूचित किया जाए ताकि रसोई गैस उपभोक्ताओं की कर योग्य आय से संबंधित जानकारी प्राप्त की जा सके। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि आईटी अधिनियम के तहत आयकर विभाग किसी को भी तब तक व्यक्ति की आय विवरण की जानकारी नहीं देता जब तक केंद्र सरकार किसी अधिकारी, प्राधिकारी को कानून के तहत अपने काम के लिए इसकी अनुमति नहीं देती।
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