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Wednesday, July 27, 2016

प्राइवेट स्कूलों पर उच्च न्यायालय का फैसला दिल्ली सरकार की जीत : मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली। 


 
फीस बढ़ाने से पहले दिल्ली सरकार से अनुमति लेने संबंधी प्राइवेट स्कूलों की रिव्यू पिटीशन को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। सरकारी जमीन पर चल रहे प्राइवेट स्कूलों को अब जब भी फीस बढ़ानी होगी उन्हें दिल्ली सरकार से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा। साथ ही प्राइवेट स्कूलों को अब ये भी बताना होगा कि वे कितने प्रतिशत फीस बढ़ाना चाहते हैं और क्यों? उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक ट्वीट में लिखा कि आज के फैसले से प्राइवेट स्कूलों को आम लोगों के प्रति पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिल्ली सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूती मिलेगी। दिल्ली उच्च न्यायालय में दिल्ली सरकार ने कहा कि  फीस बढ़ोतरी को लेकर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गठित अनिल देव सिंह कमेटी ने कहा था कि विशेष स्थितियों में प्राइवेट स्कूल अधिकतम 10 फीसदी तक फीस बढ़ा सकते हैं लेकिन ज्यादातर प्राइवेट स्कूल सामान्य स्थितियों में भी 10 फीसदी तक फीस वृद्धि करते आ रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली सरकार की तरफ से दिल्ली उच्च न्यायालय में ये भी पक्ष रखा गया कि कई प्राइवेट स्कूल, डेल्ही स्कूल एजुकेशन एक्ट के सेक्शन 17 (3) की गलत व्याख्या करते हुए केवल मिड सेशन में ही फीस बढ़ाने से पहले दिल्ली सरकार से अनुमति लेते हैं जबकि 19 जनवरी, 2015 के दिल्ली हाई कोर्ट के जजमेंट के अनुसार प्राइवेट स्कूल जिन्हें सरकारी जमीन मिली है, जब भी फीस बढ़ाएंगे, दिल्ली सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के इस पक्ष को सही ठहराया है। इसलिए अब सरकारी जमीनों पर चल रहे प्राइवेट स्कूलों को जब भी फीस बढ़ानी होगी दिल्ली सरकार से पहले अनुमति लेना अनिवार्य होगा। 

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